अब गन्ना किसानों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा-caneup.in

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caneup.in: गुरुवार को किसान सहकारी चीनीमिल ने अपने 42वें गन्ना पेराई सत्र का शुभारंभ किया। यह वही मिल है, जिसके संचालन की मांग किसान नवम्बर से कर रहे थे, लेकिन थोड़ा लेट लतीफी के बाद आखिरकार 10 दिसंबर की तय तिथि से दो दिन बाद इसका औपचारिक उद्घाटन हुआ। आइए जानते हैं इस सत्र की खास बातें, किसानों की उम्मीदें और मिल के संचालन से जुड़ी जानकारियां।

मिल संचालन की देरी पर किसानों का गुस्सा और मजाकिया तंज

किसानों ने नवम्बर से ही गन्ना पेराई शुरू करने की मांग की थी। एक किसान ने मजाकिया अंदाज में कहा लगता है चीनीमिल भी सरकारी बाबू की तरह ठंड में आलस कर रही थी, तभी नवम्बर के बजाय दिसंबर में जागी। हालांकि, देरी के पीछे शासन की प्रक्रियात्मक जटिलताएं और गन्ने की पर्याप्त आपूर्ति न होना प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं। लेकिन किसानों का कहना है कि देरी से उनका नुकसान हुआ क्योंकि गन्ना खेतों में खड़ा रहने से उपज घटने का खतरा बढ़ता है।caneup.in

उद्घाटन की धूमधाम और पूजन-अर्चन

गुरुवार को मिल परिसर में गन्ना पेराई सत्र का उद्घाटन विधिवत पूजन-अर्चन और गन्ना डालकर किया गया। इस मौके पर डीएम कृतिका ज्योत्सना, विधायक राजप्रसाद उपाध्याय और कई अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे।caneup.in

जिलाधिकारी ने कहा,
मिल का शुभारंभ किसानों के लिए राहत लेकर आएगा। अब उन्हें अपनी फसल बेचने के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा।

पहले दिन का हाल: गन्ना तौल और सप्लाई

पहले दिन प्रतापपुर के किसान राम अनुज सिंह के गन्ने की तौल कराई गई। सीसीओ वेद प्रकाश शुक्ला के अनुसार मिल पर अभी तक तीन हजार कुंतल गन्ना पहुंच चुका है। जैसे ही आठ हजार कुंतल गन्ने की आपूर्ति पूरी हो जाएगी, पेराई विधिवत शुरू हो जाएगी। गन्ना अधिकारियों ने तीन दिनों के लिए 23 हजार कुंतल गन्ने की पर्ची जारी की है, ताकि मिल की कार्यप्रणाली सुचारू रूप से शुरू हो सके।caneup.in

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मिल संचालन के प्रभाव: क्या बदलता है किसानों की जिंदगी में?

चीनीमिल का संचालन किसानों के लिए वरदान की तरह है। यह न केवल उनके गन्ने को सही समय पर खरीदती है, बल्कि स्थानीय रोजगार भी पैदा करती है।
फायदे:

  • उचित मूल्य: किसानों को अपनी उपज का सही दाम मिलता है।
  • समय की बचत: दूर-दराज जाने की जरूरत नहीं।
  • स्थानीय रोजगार: मिल में काम करने वाले कर्मचारी और ट्रांसपोर्टर को काम मिलता है।

चुनौतियां:

  • समय पर भुगतान नहीं होना।
  • तकनीकी दिक्कतों से पेराई में देरी।
  • मौसम की मार से गन्ने की गुणवत्ता खराब होना।

गन्ना पेराई का असर caneup.in

गन्ना पेराई का असर केवल किसानों तक सीमित नहीं रहता। यह स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करता है।

  • चीनी उत्पादन में वृद्धि: चीनीमिल क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर चीनी की आपूर्ति में योगदान करती है।
  • रोजगार: मिल के आसपास के लोगों को ट्रांसपोर्ट, मजदूरी और तकनीकी काम में रोजगार मिलता है।
  • व्यापार: गन्ना पेराई सत्र के दौरान बाजारों में रौनक बढ़ जाती है।caneup.in

गन्ना पेराई के आंकड़े: एक नजर

मिल का नामपेराई सत्रगन्ना आपूर्ति (कुंतल)
किसान सहकारी चीनीमिल42वां23,000 (प्रथम चरण)

गन्ना किसान की मजेदार बातें और चिंताएं

  1. एक बुजुर्ग किसान ने कहा,
    चीनीमिल के उद्घाटन में जितनी मिठास है, उतनी ही मीठी हमारी जेब भी हो जाए, यही दुआ है।
  2. गन्ने की कटाई से पहले कुछ किसानों ने अपने बच्चों को बताया,
    अगर मेहनत से कटाई नहीं की तो चीनी नहीं बनेगी और तुम्हारी चाय फीकी रह जाएगी।

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पेराई प्रक्रिया में सुधार की जरूरत

हालांकि उद्घाटन हो चुका है, लेकिन अभी भी सुधार की संभावनाएं हैं:

  • गन्ने की तौल प्रक्रिया को और तेज़ किया जाए।
  • छोटे किसानों को प्राथमिकता दी जाए।
  • समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।

निष्कर्ष: गन्ना, चीनी और उम्मीदों की मिठास

चीनीमिल का शुभारंभ किसानों के लिए राहत की खबर लेकर आया है। हालांकि देरी से कुछ नाराजगी जरूर हुई, लेकिन पेराई सत्र की शुरुआत ने उम्मीदें बढ़ा दी हैं। किसानों को उम्मीद है कि इस बार चीनीमिल केवल मिठास ही नहीं, बल्कि समय पर भुगतान का भरोसा भी देगी।caneup.in

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