Cane Up.in 4 बीघा गन्ने की खेती लाखों में मुनाफा

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cane up.in उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती का प्रमुख केंद्र हमेशा से पश्चिमी जिलों में रहा है, जहां के किसान गन्ने की बड़े पैमाने पर खेती करते हैं और अपनी फसल को चीनी मिलों में सप्लाई करते हैं। लेकिन हाल ही में पूर्वांचल के मिर्जापुर जिले के किसानों ने गन्ने की खेती में एक नई दिशा दिखाई है। जहां पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ने की खेती लंबे समय से प्रचलित है, वहीं मिर्जापुर के किसानों ने इस पारंपरिक खेती को नए ढंग से अपनाकर अच्छा मुनाफा कमाया है।

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मिर्जापुर के सीयूर गांव के रहने वाले किसान राजहंस बहेलिया ने गन्ने की खेती में सफलता की ऐसी कहानी लिखी है जो कई किसानों के लिए प्रेरणा बन गई है। उन्होंने अपनी चार बीघा जमीन पर गन्ने की खेती करके लाखों रुपये का मुनाफा कमाया है और अपनी किस्मत बदल डाली है। उनके अनुभवों और मेहनत से सीखे गए तरीके न सिर्फ मिर्जापुर के बल्कि पूरे पूर्वांचल के किसानों के लिए एक मिसाल बन गए हैं।

पूर्वांचल में गन्ने की खेती की संभावनाएं cane up.in

गन्ने की खेती को लेकर अक्सर यह धारणा रही है कि यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की खेती है। पश्चिमी जिलों में अधिकतर किसान अपनी फसल चीनी मिलों में सप्लाई करते हैं, जहां से चीनी उत्पादन होता है। हालांकि, पूर्वांचल में गन्ने की खेती उतनी व्यापक नहीं रही है, लेकिन मिर्जापुर जैसे जिलों में गन्ने की खेती ने एक नई दिशा ली है।

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गन्ने की डिमांड

पूर्वांचल में गन्ने की खेती अभी भी कम होती है, जिससे यहां गन्ने की डिमांड ज्यादा बनी रहती है। किसान गन्ने को जूस के लिए स्थानीय बाजार में बेचते हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा होता है। इसके अलावा, बचे हुए गन्ने से खाड़ और गुड़ भी तैयार किया जाता है, जो स्थानीय बाजार में उच्च मांग में रहता है। इससे किसानों को अतिरिक्त आय का एक स्रोत मिल जाता है।

कम मेहनत में अधिक मुनाफा

गन्ने की खेती की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें अधिक मेहनत नहीं लगती। बुवाई के बाद सिर्फ फसल की सिंचाई और देखभाल की जरूरत होती है। एक बीघा जमीन पर गन्ने की खेती करने में किसान को लगभग 20,000 रुपये का खर्च आता है, जिसमें दवाइयों से लेकर मजदूरी तक के खर्च शामिल होते हैं। एक साल के भीतर फसल तैयार हो जाती है और एक बीघा से करीब डेढ़ लाख रुपये का मुनाफा होता है।

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राजहंस बहेलिया की सफलता की कहानी

राजहंस बहेलिया, मिर्जापुर जिले के सीयूर गांव के एक साधारण किसान हैं, लेकिन उनकी मेहनत और दूरदर्शिता ने उन्हें गन्ने की खेती में सफलता दिलाई है। पिछले 20 वर्षों से वह गन्ने की खेती कर रहे हैं और इस बार उन्होंने चार बीघा जमीन पर गन्ने की खेती की है।

खेती की लागत और मुनाफा cane up.in

राजहंस बहेलिया बताते हैं कि एक बीघा में गन्ने की खेती करने में कुल खर्च लगभग 20,000 रुपये आता है, जिसमें बीज, दवा, मजदूरी, और अन्य आवश्यकताओं का खर्च शामिल है। लेकिन एक बीघा जमीन से उन्हें करीब डेढ़ लाख रुपये का मुनाफा हो रहा है। इस हिसाब से चार बीघा जमीन पर उन्होंने इस साल लगभग छह लाख रुपये का मुनाफा कमाया है।

खर्च का विवरणलागत (प्रति बीघा)
बीज और दवाइयां10,000 रुपये
मजदूरी5,000 रुपये
सिंचाई और अन्य खर्च5,000 रुपये
कुल खर्च20,000 रुपये
प्रत्याशित मुनाफा1,50,000 रुपये

कम सिंचाई में भी बेहतर पैदावार

राजहंस बहेलिया के अनुसार, गन्ने की खेती के लिए बहुत अधिक सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। थोड़ी सी सिंचाई में भी अच्छी पैदावार हो जाती है। उनका कहना है कि गन्ने की बुवाई के बाद, फसल की नियमित देखभाल और कम सिंचाई से बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इस वजह से गन्ने की खेती उन किसानों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है, जिनके पास सीमित पानी की सुविधा है।cane up.in

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गन्ने की खेती के लाभ

गन्ने की खेती से कई फायदे होते हैं, जो किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाते हैं। विशेषकर पूर्वांचल के किसानों के लिए यह खेती एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत साबित हो रही है।

स्थिर आय स्रोत:

गन्ने की खेती से किसानों को स्थिर और निश्चित आय प्राप्त होती है। एक बार गन्ने की बुवाई करने के बाद, फसल एक साल में तैयार हो जाती है और इसका बाजार में हमेशा मांग रहती है। गन्ने के जूस, गुड़, और खाड़ के रूप में इसके विभिन्न उत्पाद तैयार करके भी किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।cane up.in

कम खर्च, अधिक मुनाफा:

गन्ने की खेती में बीज, दवाइयों और मजदूरी का खर्च अपेक्षाकृत कम होता है, लेकिन मुनाफा अधिक होता है। राजहंस बहेलिया जैसे किसान इसका जीता-जागता उदाहरण हैं, जिन्होंने कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया है।

सहज देखभाल:

गन्ने की खेती में ज्यादा मेहनत नहीं लगती। सिर्फ बुवाई के बाद फसल की सिंचाई और देखभाल की जरूरत होती है। इस वजह से इसे खेती का एक सरल और फायदेमंद विकल्प माना जाता है।

स्थानीय बाजार में मांग:

गन्ने के विभिन्न उत्पाद जैसे जूस, गुड़, और खाड़ की स्थानीय बाजार में बहुत अधिक मांग रहती है। इससे किसानों को अपनी फसल बेचने में कोई समस्या नहीं होती और उन्हें अच्छा मूल्य मिल जाता है।

पूर्वांचल के किसानों के लिए प्रेरणा

राजहंस बहेलिया की सफलता की कहानी न सिर्फ मिर्जापुर के बल्कि पूरे पूर्वांचल के किसानों के लिए एक प्रेरणा बन गई है। गन्ने की खेती से उन्होंने अपनी किस्मत बदली और आज वह अपने परिवार के साथ एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं। उनकी मेहनत और दूरदर्शिता ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया है, और वह इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि गन्ने की खेती में भविष्य की अपार संभावनाएं हैं।

गन्ने की खेती के लिए आवश्यक टिप्स

गन्ने की खेती को सफल बनाने के लिए किसानों को कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। राजहंस बहेलिया के अनुसार, गन्ने की खेती में सफलता पाने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखना जरूरी है:

  1. उत्तम गुणवत्ता के बीज का चयन: बीज की गुणवत्ता गन्ने की पैदावार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उच्च गुणवत्ता के बीज से बेहतर उत्पादन होता है।
  2. सिंचाई का प्रबंधन: गन्ने की फसल को अधिक पानी की जरूरत नहीं होती, लेकिन नियमित सिंचाई से फसल की बढ़ोतरी अच्छी होती है।
  3. समय-समय पर फसल की देखभाल: फसल को समय-समय पर कीटनाशकों और उर्वरकों का प्रयोग करके सुरक्षित रखना चाहिए। यह फसल की गुणवत्ता और उत्पादन को बढ़ाता है।
  4. बाजार की मांग के अनुसार उत्पादन: बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए गन्ने के विभिन्न उत्पाद तैयार करना चाहिए, जैसे कि जूस, गुड़ और खाड़।

गन्ने की खेती ने राजहंस बहेलिया जैसे किसानों की जिंदगी को एक नई दिशा दी है। उनकी कड़ी मेहनत, समर्पण और खेती के प्रति उनका दृष्टिकोण उन्हें इस मुकाम तक लाया है। गन्ने की खेती पूर्वांचल के किसानों के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो रही है, जिससे वे न सिर्फ अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं, बल्कि आत्मनिर्भर भी बन सकते हैं। गन्ने की खेती में कम खर्च, कम मेहनत और अधिक मुनाफे की वजह से यह खेती किसानों के लिए एक लाभदायक विकल्प बन चुकी है।

Disclaimer

यह लेख सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। , कृपया आधिकारिक स्रोतों से जानकारी की पुष्टि कर लें। योजनाओं और नीतियों में समय-समय पर बदलाव हो सकता है, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए सरकारी वेबसाइटों या अधिकृत कार्यालयों से सम्पर्क करे।