Budaun News: गन्ना किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ये कहानी गन्ना भुगतान की मांग से शुरू हुई और सट्टा लॉक तक पहुंच गई। अगर आप सोच रहे हैं कि ये “सट्टा” क्या है, तो हम आपको बता दें कि ये गन्ना क्रय केंद्र पर पर्ची का सिस्टम है, जिससे किसान अपनी फसल बेच सकते हैं। लेकिन जब यह लॉक हो जाए, तो समझ लीजिए किसान और उनकी फसल दोनों परेशान हो जाते हैं।
गन्ना भुगतान की मांग और हंगामा
जब लखनपुर निवासी सतीश सिंह, विजेंद्र सिंह और कई अन्य किसानों ने जिला गन्ना अधिकारी अशर्फी लाल से मिलने की ठानी। किसान अपने भुगतान की समस्या लेकर पहुंचे। अधिकारी साहब ने आश्वासन दिया, “पुराना भुगतान तो हो गया है, नया भी जल्द दिलवा देंगे।Budaun News
लेकिन किसान इतने भोले नहीं हैं। उन्होंने कहा साहब, आप जल्दी-जल्दी की बात मत करिए हमें ठोस जवाब चाहिए। अधिकारी ने कुछ किसानों के नाम और नंबर अपनी हथेली पर लिख लिए। शायद वह किसान भाई समझ बैठे कि अब उनकी बात पूरी तरह सुनी जाएगी।
सट्टा लॉक का ड्रामा शुरू Budaun News
शाम होते-होते मामला थोड़ा फिल्मी हो गया। जब किसान और गन्ना डालने के लिए पर्ची लेने पहुंचे, तो उन्हें पता चला कि सट्टा पर्ची ही कट नहीं रही है। अब ये किसी हॉलीवुड थ्रिलर से कम नहीं था बिना सट्टा पर्ची गन्ना बेचना नामुमकिन है!
इस दौरान किसान जैसे अपने ही खेतों में कैद हो गए। उनके पास गन्ना तो था, लेकिन उसे बेचने का कोई जरिया नहीं। ऐसा लगा जैसे गन्ना खेत में उन्हें चिढ़ा रहा हो: क्यों भाई अब क्या करोगे? Budaun News
राजनीतिक तड़का और हंगामा
किसानों ने इस समस्या के समाधान के लिए साधन सहकारी समिति के पूर्व चेयरमैन और भाजपा मंडल उपाध्यक्ष विजेंद्र सिंह से संपर्क किया। उन्होंने तुरंत विभाग से जानकारी जुटाई और बड़ा खुलासा किया सट्टा पर्ची जिला गन्ना अधिकारी के निर्देश पर लॉक कर दी गई थी Budaun News
किसानों का तंज और गुस्सा
हंगामे के बीच कुछ किसानों ने मजाकिया लहजे में कहा साहब अब गन्ने के साथ हम भी लॉक हो गए हैं। खेत में गन्ना ऐसे पड़ा है, जैसे वह हमारे मजे ले रहा हो। अब तो डीएम साहब से शिकायत करनी पड़ेगी।
दूसरे किसान बोले अगर गन्ना बेचना ही लॉक हो गया तो बच्चों की फीस कैसे देंगे? गन्ना अब सोने जैसा कीमती हो गया लेकिन हमारे लिए इसका कोई मोल नहीं।Budaun News
क्या है सट्टा लॉक की कहानी?
गन्ना सट्टा पर्ची का मतलब होता है कि आप अपनी फसल किस दिन और कितनी मात्रा में बेच सकते हैं। इसे लॉक करना किसानों के लिए वैसा ही है जैसे किसी स्टूडेंट का रिजल्ट रोक देना।
अधिकारी ने किसानों से कहा था कि भुगतान जल्द मिलेगा लेकिन सट्टा लॉक करके उनके गन्ने की बिक्री ही रोक दी। वाह, क्या बात है! यह कुछ ऐसा ही है जैसे किसी को भूख लगने पर खाना दिखाओ, लेकिन खाने का मौका न दो।
गन्ना केंद्र और अधिकारी की भूमिका पर सवाल
किसानों ने आरोप लगाया कि गन्ना अधिकारी और चीनी मिल प्रबंधक के बीच मिलीभगत है। किसानों ने कहा, “हमें नहीं पता कि ये खेल क्यों हो रहा है, लेकिन हमारे खेत में पड़ा गन्ना सड़ने से पहले इस समस्या का समाधान चाहिए।”
डीएम से शिकायत की तैयारी
किसानों ने अब कमर कस ली है। उनका कहना है कि अगर यह समस्या नहीं सुलझी, तो जिला अधिकारी (डीएम) के पास जाकर पूरी कहानी बताएंगे।
किसानों की चुनौती और मजेदार पल
किसानों की इस जंग में कुछ हल्के-फुल्के पल भी आए। एक किसान ने मजाक करते हुए कहा, “सट्टा लॉक नहीं खुला, तो अब गन्ने को सोशल मीडिया पर बेचने का ऐड डाल देंगे।”
दूसरे ने कहा, “गन्ना बेचने की जगह अब इसे खेत में ही ‘होम डिलीवरी’ के लिए रख लेते हैं। ग्राहक खुद आकर ले जाएगा!”
सरकार से उम्मीदें और सवाल
अब सवाल ये उठता है कि गन्ना किसानों की इन समस्याओं का समाधान कौन करेगा? हर साल भुगतान और गन्ने की बिक्री को लेकर यही झमेला क्यों होता है?
गन्ना किसानों की समस्याएं और समाधान की राह
यह घटना सिर्फ एक दिन की कहानी नहीं है। यह दर्शाती है कि किसान कितने बड़े संकट का सामना कर रहे हैं। अगर प्रशासन समय पर कार्रवाई करे, तो किसानों का विश्वास बना रहेगा।
कुलवंत सिंह caneup.tech वेबसाइट के संपादक (Editor) के साथ लेखक भी हैं, जहाँ वे, सरकारी योजना, गन्ना किसान , आदि से सम्बंधित लेख लिखते हैं। कुलवंत सिंह उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। इन्हें इस क्षेत्र में 3 साल से अधिक का अनुभव है। वे मुरादाबाद से स्नातक की पढ़ाई पूरी की हैं। वे अपने अनुभव से caneup.tech पर लिखे गए सभी पोस्ट का संपादन के साथ लेख भी लिखते है.